महाभारतम्-01-आदिपर्व-201
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रङ्गे आगतानां राज्ञां नामकथनम्।। 1 ।।
धृष्टद्युम्न उवाच। | 1-201-1x |
दुर्योधनो दुर्विषहो दुर्मुखो दुष्प्रधर्षणः। विविंशतिर्विकर्णश्च सहो दुःशासनस्तथा।। | 1-201-1a 1-201-1b |
युयुत्सुर्वायुवेगश्च भीमवेगरवस्तथा। उग्रायुधो बलाकी च करकायुर्विरोचनः।। | 1-201-2a 1-201-2b |
कुण्डकश्चित्रसेनश्च सुवर्चाः कनकध्वजः। नन्दको बाहुशाली च तुहुण्डो विकटस्तथा।। | 1-201-3a 1-201-3b |
एते चान्ये च बहवो धार्तराष्ट्रा महाबलाः। कर्णेन सहिता वीरास्त्वदर्थं समुपागताः।। | 1-201-4a 1-201-4b |
असङ्ख्याता महात्मानः पार्थिवाः क्षत्रियर्षभाः। शकुनिः सौबलश्चैव वृषकोऽथ बृहद्बलः।। | 1-201-5a 1-201-5b |
एते गान्धारराजस्य सुताः सर्वे समागताः। अश्वत्थामा च भोजश्च सर्वशस्त्रभृतां वरौ।। | 1-201-6a 1-201-6b |
समवेतौ महात्मानौ त्वदर्थे समलङ्कृतौ। बृहन्तो मणिमांश्चैव दण्डधारश्च पार्थिवः।। | 1-201-7a 1-201-7b |
सहदेवजयत्सेनौ मेघसन्धिश्च पार्थिवः। विराटः सह पुत्राभ्यां शङ्खेनैवोत्तरेण च।। | 1-201-8a 1-201-8b |
वार्धक्षेमिः सुशर्मा च सेनाबिन्दुश्च पार्थिवः। सुकेतुः सह पुत्रेण सुनाम्ना च सुवर्चसा।। | 1-201-9a 1-201-9b |
सुचित्रः सुकुमारश्च वृकः सत्यधृतिस्तथा। सूर्यध्वजो रोचमानो नीलश्चित्रायुधस्तथा।। | 1-201-10a 1-201-10b |
अंशुमांश्चेकितानश्च श्रेणिमांश्च महाबलः। समुद्रसेनपुत्रश्च चन्द्रसेनः प्रतापवान्।। | 1-201-11a 1-201-11b |
जलसन्धः पितापुत्रौ विदण्डो दण्ड एव च। पौण्ड्रको वासुदेवश्च भगदत्तश्च वीर्यवान्।। | 1-201-12a 1-201-12b |
कलिङ्गस्ताम्रलिप्तश्च पत्तनाधिपतिस्तथा। मद्रराजस्तथा शल्यः सहपुत्रो महारथः।। | 1-201-13a 1-201-13b |
रुक्माङ्गदेन वीरेण तथा रुक्मरथेन च। कौरव्यः सोमदत्तश्च पुत्रश्चास्य महारथः।। | 1-201-14a 1-201-14b |
समवेतास्त्रयः शूरा भूरिर्भूरिश्रवाः शलः। सुदक्षिणश्च काम्भोजो दृढधन्वा च पौरवः।। | 1-201-15a 1-201-15b |
बृहद्बलः सुषेणश्च शिबिरौशीनस्तथा। पटच्चरनिहन्ता च कारूषाधिपतिस्तथा।। | 1-201-16a 1-201-16b |
सङ्कर्षणो वासुदेवो रौक्मिणेयश्च वीर्यवान्। साम्बश्च चारुदेष्णश्च प्राद्युम्निः सगदस्तथा।। | 1-201-17a 1-201-17b |
अक्रूरः सात्यकिश्चैव उद्धवश्च महामतिः। कृतवर्मा च हार्दिक्यः पृथुर्विपृथुरेव च।। | 1-201-18a 1-201-18b |
विदूरथश्च कङ्कश्च शङ्कुश्च सगवेषणः। आशावहोऽनिरुद्धश्च समीकः सारिमेजयः।। | 1-201-19a 1-201-19b |
वीरो वातपतिश्चैव झिल्लीपिण्डारकस्तथा। उशीनरश्च विक्रान्तो वृष्णयस्ते प्रकीर्तिताः।। | 1-201-20a 1-201-20b |
भगीरथो बृहत्क्षत्रः सैन्धवश्च जयद्रथः। बृहद्रथो बाह्लिकश्च श्रउतायुश्च महारथः।। | 1-201-21a 1-201-21b |
उलूकः कैतवो राजा चित्राङ्गदशुभाङ्गदौ। वत्सराजश्च मतिमान्कोसलाधिपतिस्तथा।। | 1-201-22a 1-201-22b |
शिशुपालख्च विक्रान्तो जरासन्धस्तथैव च। एते चान्ये च बहवो नानाजनपदेश्वराः।। | 1-201-23a 1-201-23b |
त्वदर्थमागता भद्रे क्षत्रियाः प्रथिता भुवि। एते भेत्स्यन्ति विक्रान्तास्त्वदर्थे लक्ष्यमुत्तमम्। विध्यते य इदं लक्ष्यं वरयेथाः शुभेऽद्य तम्।। | 1-201-24a 1-201-24b 1-201-24c |
।। इति श्रीमन्महाभारते आदिपर्वणि स्वयंवरपर्वणि एकाधिकद्विशततमोऽध्यायः।। 201 ।। |
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